Thursday, December 29, 2011

जय जय दीनदयाल जी


दीनदयाल जी

जय जय दीनदयाल जी,
आप, हृदय विशाल जी।
आपकी  महिमा बड़ी निराली,
रहे जगत को  पाल जी।।

सबका  रखें खयाल जी,
सबको करे, निहाल जी।
आपके  जैसा कौन भला है,
मिलती नहीं मिसाल जी।।

जय जय दीनदयाल जी,
जय जय दीनदयाल जी।।

-रामगोपाल राही
लाखेरी, जिला: बूंदी  राज.

Tuesday, October 4, 2011

बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा सम्मानित

राजस्थान साहित्य अकेडमी और बाल वाटिका की ओर से भीलवाड़ा में आयोजित बाल साहित्य संगोष्ठी एवं पुरुस्कार- सम्मान समारोह में हनुमानगढ़ के बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा को इनकी राजस्थानी बाल संस्मरण कृति " बाळपणे री बातां " के लिए श्री घीसूलाल सेन स्मृति बाल वाटिका पुरुस्कार प्रदान किया गया.. पुरुस्कार स्वरूप इन्हें 2500 रूपये नकद, अंग वस्त्र, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, श्री फल देकर एवं शाल ओढा कर सम्मानित किया गया..

02 Oct. 2011

Wednesday, September 28, 2011

Saturday, July 23, 2011

राजस्थानी बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा


दीनदयाल शर्मा , बाल साहित्यकार 

दीनदयाल शर्मा , बाल साहित्यकार

जन्म: 15 जुलाई 1956 (प्रमाण पत्र के अनुसार) जन्म स्थान: गांव- जसाना, तहसील- नोहर, जिला- हनुमानगढ़ (राज.) शिक्षा: एम. कॉम. (व्यावसायिक प्रशासन, 1981), पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर 1985), स्काउट मास्टर बेसिक कोर्स (1979, 1990) लेखन: हिन्दी व राजस्थानी दोनों भाषाओं में 1975 से सतत सृजन। मूल विधा: बाल साहित्य अन्य: व्यंग्य, कथा, कविता, नाटक, एकांकी, रूपक, सामयिक वार्ता आदि। विशेष: =हिन्दी व राजस्थानी में दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। =देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएं प्रकाशित (1975 से) =महामहिम राष्ट्रपति डॉ. कलाम द्वारा अंग्रेजी में अनुदित बाल नाट्य कृति 'द ड्रीम्स' का 17 नवम्बर 2005 को लोकार्पण। =बाल दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल की ओर से विशेष सम्मान, 2007 =आकाशवाणी से हास्य व्यंग्य, कहानी, कविता, रूपक, नाटक आदि प्रसारित। =दूरदर्शन से साक्षात्कार एवं कविताएं प्रसारित। =काव्य गोष्ठियों एवं कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ।=गंगानगर पत्रिका (1972 से) प्रताप केसरी (23 अप्रेल 1979 से) और राजस्थान पत्रिका के लिए समाचार संकलन (1972 से 1982 के मध्य)=राष्ट्रदूत, बीकानेर, प्रताप केसरी, श्रीगंगानगर, दैनिक तेज, हनुमानगढ, और दैनिक तेज केसरी, हनुमानगढ़ के लिए स्तंभ लेखन। (1979 से 1982 के मध्य) =बी.जे.एस.रामपुरिया जैन महाविद्यालय, बीकानेर में हिन्दी संपादक, 1979=जैन पी.जी.कॉलेज, गंगाशहर, बीकानेर में हिन्दी संपादक, 1981=संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान बाल कल्याण परिषद्, हनुमानगढ़, राज., 1986 =संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान साहित्य परिषद, हनुमानगढ़, राज. 1984=साहित्य सम्पादक (मानद): टाबर टोल़ी पाक्षिक (बच्चों का हिन्दी अखबार), बाल दिवस 2003 से लगातार=सम्पादक (मानद): कानिया मानिया कुर्र (बच्चों का राजस्थानी अखबार) =डॉ. प्रभाकर माचवे : सौ दृष्टिकोण में एक आलेख संकलित।=शिक्षा विभाग राजस्थान के शिक्षक दिवस प्रकाशनों में रचनाएं प्रकाशित। =स्कूल एवं कॉलेज की अनेक स्मारिकाओं का सम्पादन।=बाल साहित्य की अनेक पुस्तकों के भूमिका लेखक। =जिला साक्षरता समिति हनुमानगढ़ की ओर से प्रकाशित मासिक मुख पत्र आखर भटनेर का सम्पादन। साक्षरता में उपलब्धियां : =जिला संपूर्ण साक्षरता समिति हनुमानगढ़ के 'भटनेर' परियोजना प्रस्ताव, =उत्तर साक्षरता परियोजना प्रस्ताव तथा सतत् शिक्षा परियोजना प्रस्ताव का निर्माण, लेखन और संपादन, =नवसाक्षरों के पठन हेतु 'आखर मेड़ी' भाग-1, भाग-2, भाग-3 का निर्माण - सम्पादन, =संदर्भ व्यक्ति, =मीडिया सैल एवं =कौर ग्रुप का सदस्य, =आखर गांव, =आखर राजस्थान तथा =नीले घोड़े का असवार नाम की तीन भित्ति पत्रिकाओं का निर्माण, =समय-समय पर तहसील, जिला एवं राज्य स्तरीय कार्यशालाओं तथा कला जत्थे में सक्रिय भागीदारी। =जिला साक्षरता समिति की ओर से मासिक मुख पत्र 'आखर भटनेर' का कई वर्षों तक सफल संपादन। प्रकाशित कृतियां: (हिन्दी में) =चिंटू-पिंटू की सूझ (बाल कहानियां चार संस्करण)=चमत्कारी चूर्ण (बाल कहानियां) =पापा झूठ नहीं बोलते (बाल कहानियां)=कर दो बस्ता हल्का (बाल काव्य)=सूरज एक सितारा है (बाल काव्य)=सपने (बाल एकांकी)=बड़ों के बचपन की कहानियां (महापुरुषों की प्रेरणाप्रद घटनाएं)=इक्यावन बाल पहेलियाँ (बाल पहेलियां)=फैसला (बाल नाटक)=नानी तू है कैसी नानी=चूं-चूं (शिशु कविताएँ)=राजस्थानी बाल साहित्य:एक दृष्टि=फैसला बदल गया (नवसाक्षर साहित्य) =मैं उल्लू हूं (हास्य व्यंग्य दो संस्करण 1987,1993) =सारी खुदाई एक तरफ (हास्य व्यंग्य संग्रह) (अंग्रेजी में) =द ड्रीम्स, राजस्थानी साहित्य:=चन्दर री चतराई (बाल कहानियां)=टाबर टोल़ी (बाल कहानियां) =शंखेसर रा सींग (बाल नाटक, दो संस्करण)=तूं कांईं बणसी (बाल एकांकी)=म्हारा गुरुजी (बाल एकांकी)=डुक पच्चीसी (हास्य काव्य) =गिदगिदी (हास्य काव्य) =सुणौ के स्याणौ (हास्य काव्य, दो संस्करण)=स्यांति (कथा)=घर बिगाड़ै गुस्सौ (हास्य)=घणी स्याणप (हास्य)=बात रा दाम (तीन बाल नाटक)=बाळपणै री बातां प्रसारित रेडियो नाटक: =मेरा कसूर क्या है=रिश्तों का मोल =अंधेरे की तस्वीर=पगली=और थाली बज उठी =अपने-अपने सुख =जंग जारी है =उसकी सजा =छोटी-छोटी बातें=और सब कहते रहे =पगड़ी की लाज=मुझे माफ कर दो =घर की रोशनी प्रसारित झलकी: =मास्टर फकीरचंद =चक्कर =गोलमाल प्रसारित बाल नाटक: =फैसला =शंखेश्वर के सींग =परीक्षा =बिगड़ग्यौ बबलू =म्हारा गुरुजी प्रसारित रूपक: =सिंधु घाटी की समकालीन सभ्यता: कालीबंगा मंचित नाटक : =बात रा दाम =जै]रीली नागण : शराब =म्हारा गुरुजी =बिगड़ग्यौ बबलू =मास्टर फकीरचंद =सैं' संू बड़ी पढाई =तंू कांईं बणसी पुरस्कार और सम्मान : =राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर से हिन्दी बाल कथा संग्रह पर डॉ.शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार (1988-89) =राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर से राजस्थानी बाल नाटक पर पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य पुरस्कार (1998-99) =बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर (उत्तरप्रदेश) की ओर से बाल साहित्य सम्मान, 1998 =हिन्दी बाल कथा पर अखिल भारतीय शकुन्तला सिरोठिया बाल कहानी पुरस्कार, इलाहाबाद (2000) =राष्ट्रीय बाल साहित्य समारोह, चित्तौडगढ़़ से राजस्थानी बाल एकांकी पर चंद्रसिंह बिरकाली राजस्थानी बाल साहित्य का प्रथम पुरस्कार (1998-99) =हिन्दी बाल कथा पर कमला चौहान स्मृति ट्रस्ट, देहरादून (उत्तरांचल) की ओर से सर्वश्रेष्ठ बाल साहित्यकार पुरस्कार (2001) =बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं पर अखिल भारतीय साहित्य एवं कला विकास मंच, रावतसर (1999) से सार्वजनिक सम्मान। =पंडित भूपनारायण दीक्षित बाल साहित्य पुरस्कार, हरदोई, उत्तरप्रदेश (1998-99) =नागरी बाल साहित्य संस्थान, बलिया, उत्तरप्रदेश से सम्मान (1998-99) =पं. हरप्रसाद पाठक स्मृति बाल संस्थान, कानपुर से सम्मान (1998-99) =रूचिर साहित्य समिति, सोजतशहर, पाली, राज. की ओर से बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सार्वजनिक सम्मान (1998-99) =ग्राम पंचायत, जण्डावाली, हनुमानगढ़, राज., (1997) नगर परिषद्, हनुमानगढ़ (1989) और जिला प्रशासन, हनुमानगढ़ (1998) की ओर से सार्वजनिक सम्मान। =रोवर स्काउट (सेवा कार्य / साइकिल हाइक) में राज्य स्तरीय पुरस्कार (1979) =महाविद्यालय में अध्ययन के दौरान कविता, कहानी, कार्टून, एकाभिनय, श्रेष्ठ हस्तलेखन व कुश्ती प्रतियोगिता में प्रथम / द्वितीय =अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर राज्य में सर्वाधिक पुस्तक दानदाता के राज्य स्तरीय पुरस्कार से बिड़ला सभागार, जयपुर में सार्वजनिक सम्मान (2005) =बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2005) =बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राजस्थान ब्राह्मण महासभा की ओर से सार्वजनिक सम्मान (2009) =बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2009) =सृजनशील बाल साहित्य रचनाकारों की राष्ट्रीय संस्था 'बाल चेतना', जयपुर की ओर से राजस्थानी बाल साहित्य की सेवाओं के लिए 'सीतादेवी अखिल भारतीय श्रीवास्तव सम्मान' (2006) =राजस्थानी बाल साहित्यिक सेवाओं के लिए प्रयास संस्थान, चूरू की ओर से सार्वजनिक सम्मान (2010) संपकर्: 10/22, आर.एच.बी. कॉलोनी, हनुमानगढ़ जं., पिन कोड- 335512, राजस्थान, भारत मोबाइल - 09414514666

Thursday, April 7, 2011

Hasy kavi Deendayal Sharma

Deendayal Sharma, 
Hanumangarh Jn. 335512
10/22 Housingh Board Colony, HMH

Mob. 094145 14666, 095095 42303

Tuesday, April 5, 2011

Deendayal Sharma & Rajendra Daal

Deendayal Sharma & Rajendra Daal
मेरा जन्म दिन : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया विक्रम सम्वत 2013 यानी गणगौर पर्व पर मेरा जन्म दिन है..अंग्रेजी तारिख के हिसाब से इस बार मेरा जन्म दिन 6 अप्रैल 2011 वार बुधवार को आ रहा है.. http://deendayalsharma.blogspot.com ,
Mob. 9414514666

Tuesday, March 29, 2011

मेरी नज़र में : दीनदयाल शर्मा

दीनदयाल शर्मा की नवीन कृति का सदैव इन्तज़ार रहता है।
 बाल साहित्य नाम सुनते ही यह स्पष्ट हो जाता है कि ऐ ऐसा साहित्य जो बालमन, बाल मस्तिष्क एवं बाल हृदय के अनुरूप लिखा जाता हो। कहने को तो भारतभूमि में बाल साहित्यकारों की बाढ़ आयी है। आज की स्थिति को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि हर कोई बाल साहित्य रूपी मन्दाकिनी में प्रविष्ठ होना चाहता हे।
    
इस सन्दर्भ में अच्छी बात यह है कि इससे बालसाहित्य की लोकप्रियता का आभास होता है। वर्तमान युग में बालसाहित्य काफी चर्चित एवं लोकप्रिय हुआ है। किन्तु बुरी बात हयह है कि हर कोई कलम कागज के साथ बाल साहित्य में अपनी सहभागिता निभाने के लिए उतावला हो रहा है।  यही कारण है कि बालसाहित्य जिस स्तर का आना चाहिए वह स्तर नहीं बन पा रहा है, इससे बाल साहित्य के अग्रणी पुरोधाओं के लिए चिन्तित होना स्वाभाविक है। उन अग्रणी बालसाहित्यकारों में एक नाम हनुमानगढ़ के दीनदयाल शर्मा का है।
    
श्री शर्मा लम्बे समय से बालसाहित्य की सेवा कर रहे हैं। कई संगोष्ठियां, सम्मेलनों एवं कॉन्फ्रें सों में उन्हें सुनने को मिला है। जिससे उनकी खूबियों का अहसास हुआ है।  श्री शर्मा बच्चों के लिए लिखते हैं तो बाल मन, बाल मस्तिष्क एवं बाल हृदय को मानो आत्मसात कर लेते हों। लोग कहते हैं बच्चों के लिए लिखने में क्या है? संभवत: ऐसे कथन एवं ऐसे लोगों द्वारा सचेत बालसाहित्य ही बालसाहित्य जगत के खण्डित कर रहे हैं।
    
बिना बालमनोविज्ञान को समझे बच्चों के लिए लिखना हवा में तीर चलाने जैसा है। श्री शर्मा की खूबी है कि वे बच्चों के लिए लिखते समय बच्चा बनकर ही सोचते हैं और उस चिन्तन से बच्चों के अनुसार शब्द देकर बाल साहित्य का सृजन करते हैं। हम सभी जानते हैं कि बालक का हृदय मोम की तरह होता है उसे जैसा चाहें पिघला सकते हैं।  अत: ऐसे मुलायम हृदय पर प्रहार करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए अपितु उस पर मरहम लगाने की कोशिश होनी चाहिए। यों तो श्री शर्मा जी बालमन एवं बाल हृदय को समझकर उनके अनुरूप ही बाल साहित्य का सृजन करते हैं किन्तु उनकी एक विलक्षण खूबी है कि वे उसे अन्तिम रूप देने के पूर्व 25-50 बच्चों को सुनाकर तब अन्तिम रूप देते हैं। यह खूबी ..........बाल साहित्यकारों में ही दृष्टव्य है उनमें श्री शर्मा जी अग्रणी है। यही कारण है कि उनकी बाल कविताएं, क्षणिकाएं, कहानियां बच्चे बड़े चाव से पढ़ते हैं। प्रत्येक कवि एवं लेखक की यह आचार संहिता होनी चाहिए कि वह जिसके लिए लिख रहा है उस रचना को अन्तिम रूप देने के पूर्व उस वर्ग से सन्तुष्ट हो लें। इसके लिए शर्मा जी को आदर्श माना जाता है। उनकी इसी खूबी के कारण उनकी रचनाओं के पाठक अच्छी संख्या में हैं और उन्हें उनकी नवीन कृति का सदैव इन्तज़ार रहता है। यह स्थिति किसी भी लेखक के लिए सुखद कही जा सकती है।
    
श्री शर्मा जी बालसाहित्य के स्तर को बढ़ाने की दृष्टि से एक पथ टाबर टोल़ी भी निकाल रहे हैं जिसके माध्यम से समय-समय पर बालसाहित्यकारों को स्तरीय साहित्य परोसने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। अपने इस पथ के माध्यम से बच्चों की सृजन क्षमता को वृद्धिंभत करते हुए उन्हें लिखने के लिए एक प्लेटफार्म भी देते हैं। टाबर टोल़ी में प्राय: बच्चों की रचनाएं देखकर प्रसन्नता होती है और हृदय बाग-बाग होकर कह उठता है- 'धन्य हैं आप और धन्य है आपकी सेवाएं ।'
       
आप बालसाहित्य की सेवा कई दृष्टियों से कर रहे हैं। बाल साहित्य की अनेकानेक विधाओं पर लेखनी चलाकर जहां बच्चों के लिए उपयोगी सामग्री परोस रहे हैं, वहीं अनेकानेक बाल पत्रिकाएं आपकी रचनाओं से समृद्ध हो रही हैं तथा  अनेक पुस्तकों का सृजन कर बालसाहित्य को समृद्ध किया है। बालपत्रिका निकालकर अपने बच्चों की सृजनशीलता को बढ़ावा देने का कार्य भी आप अनवरत कर रहे हैं। यही नहीं अच्छे बालसाहित्य को प्रकाशक बनकर प्रकाशित करने का कार्य भी निरन्तर कर रहे हैं। यही नहीं स्थान-स्थान पर भ्रमण कर बालसाहित्य की दशा एवं दिशा से लोगों को जागरुक भी कर रहे हैं तथा बाल साहित्य का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। एक व्यक्ति किन्तु बाल साहित्य के क्षेत्र में उसके विराट एवं बहुविध कृतित्व को देख अन्तर्मन उल्लासित हो उठता है और बधाई देने के लिए प्रेरित होता है। अत: व्यक्तित्व एक किन्तु कृतित्व अनेक के लिए श्री शर्मा जी आपको बहुत-बहुत बधाई तथा शुभकामना कि आप इसी प्रकार युगों-युगों तक बालसाहित्य की सेवा करते रहें।
 
-डॉ. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, निदेशक, जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनूं