Saturday, June 5, 2010

दीनदयाल शर्मा : आपकी नज़र में...2



प्रखर व्यक्तित्व के धनी: दीनदयाल शर्मा

मझली कद काठी, सरल लेकिन सुग्राही दृष्टि के सामान्य चेहरा लेकिन तीक्ष्ण बुद्धि के धनी श्री दीनदयाल शर्मा में बच्चों का सा उत्साह और उन्हीं का सा हठ है। 


हँसने-हँसाने को हमेशा आतुर अति संवेदनशील, जल्दी रूठने और मानने वाले। लम्बे संघर्ष के बाद भी युवकों जैसा जीवट लिए, युवाओं व प्रौढ़ों के मित्र, वृद्धजन के स्नेही और बच्चों के सखा। 


हृदय में उठी बात को आखिर कह देने को बेबस। उनके पूरे व्यक्तित्व को शब्दों में बांधना, उफनती नदी पर बांध बनाने के समान है। कहना मुश्किल है कि बाल साहित्य उनका लेखन है या जुनून। 


अपने घेरे से बाहर जाकर दूसरों की सहायता कर देना अथवा किसी गलत बात का तीव्र विरोध कर देना उनकी स्वआवृतियां हैं। बच्चों के साहित्य लेखन के लिए जैसा मन और स्वभाव चाहिए उसी के धनी श्री दीनदयाल शर्मा इस यज्ञ में अपनी आहुतियां निरंतर दे रहे हैं। मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ



राजेन्द्रकुमार डाल,
आई-242, न्यू सिविल लाइन्स,
हनुमानगढ़ जं.-335512
मो. 09950815190




बच्चों के अखबार "टाबर टोळी " से साभार...
Edition : 16 - 31 March , 2010

दीनदयाल शर्मा : आपकी नज़र में ..1






















जीवन को उत्सव में 
बदल देता है दीनदयाल

राजस्थान के रेतीले गांव जसाना में जन्मे हिन्दी और राजस्थानी के वरिष्ठ रचनाकार जिन्होंने हास्य व्यंग्य, हास्य कविताओं से हमें गुदगुदाया। लेकिन बाल सुलभ मन ने बच्चों को उसका बचपन में हारसिंगार के फूल देना व वाणी में मधु टपकाना ज्यादा उचित समझा।

दो दर्जन से अधिक पुस्तकों के रचयिता व कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित दीनदयाल शर्मा ने बालकों के खिलंदड़पन व बाल सुलभ मन को तितली की तरह उडऩे के लिए एक पाक्षिक पत्रिका टाबर टोल़ी का मानद सम्पादन आरम्भ किया। आज यह टाबर टोल़ी बच्चों का एकमात्र अखबार है जो अपनी एक अलग पहचान रखता है।

अखिल भारतीय स्तर पर बाल साहित्यकारों में अपनी पहचान बना चुके दीनदयाल शर्मा बाल मनोविज्ञान के मर्मज्ञ तथा बाल चेष्टाओं के कुशल चितेर ही नहीं बालक मन की उलझन चंचलता और उल्लास की अभिव्यक्ति में अग्रणी रचनाकार है। यह रचनाकार लम्बे समय से निरंतर शब्दों में मधु टपका रहा है। वीणा की तरह शब्दों का सत्य बता रहा है। जिसे कोई गुमान या मुगालता नहीं है।

एक सीधा-साधा सा रचनाकार जो जीवन में टाबर टोल़ी का अंक हाथ में लेकर जीवन को एक उत्सव में बदल देता है। दीनदयाल शर्मा वह रचनाकार है जो एक बालक को अपने भीतर हमेशा से रखते आए हैं तभी तो बच्चों को सहज और सरल शब्दों में बाल मन को भाने वाला साहित्य देते हैं। बाल साहित्य में बहुत लिखा गया है परन्तु किशोरों के लिए बहुत कम लिखा गया है। लेकिन दीनदयाल प्रशंसा के पात्र हैं। जिन्होंने इसी उद्देश्य के लिए सपने व अंग्रेजी में द ड्रीम्स की रचना की।

बालमन के पारखी दीनदयाल शर्मा द्वारा लिखा गया साहित्य आज के समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है। एक विशेषता और है कि वह अपना निजी सुख-दुख पाठकों का सुख-दुख एक समान मानते हैं। वह भी बहुत सहजता से जब भी कोई बच्चा हंसता मुस्कुराता खेलता और रोता मिलता है तो वे झट से अपना कैमरा निकाल कर बच्चे बन जाते हैं। मेरी दुआ है वह हमेशा बच्चे बने रहे बच्चों के लिए।
- नरेश मेहन, 09414329505