जीवन को उत्सव में
बदल देता है दीनदयाल
बदल देता है दीनदयाल
राजस्थान के रेतीले गांव जसाना में जन्मे हिन्दी और राजस्थानी के वरिष्ठ रचनाकार जिन्होंने हास्य व्यंग्य, हास्य कविताओं से हमें गुदगुदाया। लेकिन बाल सुलभ मन ने बच्चों को उसका बचपन में हारसिंगार के फूल देना व वाणी में मधु टपकाना ज्यादा उचित समझा।
दो दर्जन से अधिक पुस्तकों के रचयिता व कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित दीनदयाल शर्मा ने बालकों के खिलंदड़पन व बाल सुलभ मन को तितली की तरह उडऩे के लिए एक पाक्षिक पत्रिका टाबर टोल़ी का मानद सम्पादन आरम्भ किया। आज यह टाबर टोल़ी बच्चों का एकमात्र अखबार है जो अपनी एक अलग पहचान रखता है।
अखिल भारतीय स्तर पर बाल साहित्यकारों में अपनी पहचान बना चुके दीनदयाल शर्मा बाल मनोविज्ञान के मर्मज्ञ तथा बाल चेष्टाओं के कुशल चितेर ही नहीं बालक मन की उलझन चंचलता और उल्लास की अभिव्यक्ति में अग्रणी रचनाकार है। यह रचनाकार लम्बे समय से निरंतर शब्दों में मधु टपका रहा है। वीणा की तरह शब्दों का सत्य बता रहा है। जिसे कोई गुमान या मुगालता नहीं है।
एक सीधा-साधा सा रचनाकार जो जीवन में टाबर टोल़ी का अंक हाथ में लेकर जीवन को एक उत्सव में बदल देता है। दीनदयाल शर्मा वह रचनाकार है जो एक बालक को अपने भीतर हमेशा से रखते आए हैं तभी तो बच्चों को सहज और सरल शब्दों में बाल मन को भाने वाला साहित्य देते हैं। बाल साहित्य में बहुत लिखा गया है परन्तु किशोरों के लिए बहुत कम लिखा गया है। लेकिन दीनदयाल प्रशंसा के पात्र हैं। जिन्होंने इसी उद्देश्य के लिए सपने व अंग्रेजी में द ड्रीम्स की रचना की।
बालमन के पारखी दीनदयाल शर्मा द्वारा लिखा गया साहित्य आज के समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है। एक विशेषता और है कि वह अपना निजी सुख-दुख पाठकों का सुख-दुख एक समान मानते हैं। वह भी बहुत सहजता से जब भी कोई बच्चा हंसता मुस्कुराता खेलता और रोता मिलता है तो वे झट से अपना कैमरा निकाल कर बच्चे बन जाते हैं। मेरी दुआ है वह हमेशा बच्चे बने रहे बच्चों के लिए।
- नरेश मेहन, 09414329505
दीद भाई...आप पर लिखे प्रत्येक आलेख को पढ कर लगता है..जॆसा सहज आप का स्वभाव हॆ..लिखने वाले ने उसी सहजता से अपनी बात कह दी हॆ...बस आप के लेखन और व्यवहार में ये सरलता बनी रहे..ईश्वर से यही प्रार्थना हॆ.
ReplyDeleteMUJHE TO
ReplyDeleteAJEEB SA LAGTA HAI ?
ITNA SUNDAR VICHARAK
MERE SATH
ITNI SARALTA SE BAAT KAR RAHA HAI!
KAI BAAR LAGTA HAI SHAYAD ANKHE DHOKHA KHA GAI HAI.