प्रिय अनुज दीनदयाल शर्मा को मैं पिछले दो दशकों से जानता हंू। मैंने सदैव इन्हें एक उत्साही बाल साहित्यकार के रूप में देखा है और ये आज भी उसी उत्साह, उमंग और निश्छलता के सम्य बाल सहित्य की सच्ची सेवा करने में जुटे हैं। निरंतर लेखन और प्रकाशन में लीन हैं। मैं उनकी लगन की मुक्त कंठ से प्रशंसा करता हंू। ये बच्चों के उत्थान में दैनंदिन लगे रहते हैं। आलस्य और सुस्ती का कहीं कोई नाम निशान नहीं।
बच्चों के लिए भरपूर साहित्य सृजन करने वाले प्रिय भाई दीनदयाल राजस्थान के बाल साहित्यकारों में अपना नाम स्थापित कर चुके हैँ और उत्तरी भारत में बाल साहित्य का दीपक प्रज्ज्वलित करने वाले अग्रणी बाल साहित्यकार हैं। टाबर टोल़ी पाक्षिक अब एक जाना-माना पत्र बन चुका है और इसका श्रीगणेश भाई दीनदयाल जी के निर्देशन में हुआ। टाबर टोल़ी अपने ढंग का एक अनूठा पत्र है। इसके नाम से स्पष्ट हो जाता है कि यह शुद्ध रूप से बच्चों का, बच्चों के लिए और अभिभावकों के लिए हैं। स्वयं बच्चे इस पत्र में छपते रहे हैं।
एक अच्छा बाल साहित्कार होने के लिए सर्वप्रथम एक अच्छा व्यक्ति होना अनिवार्य है। भाई दीनदयाल जी शुद्ध आचरण वाले तथा सरल व्यक्ति हैं और इन्हीं गुणों के कारण वे उत्कृष्ट साहित्य रचने में सफल हुए हैं और भविष्य में मील के कई पत्थर स्थापित करेंगे।
मैं भाई दीनदयाल जी के इस विचार से सहमत हंू कि आज हर कोई बाल साहित्यकार बनने में जुटा है या यों कहें कि बाल साहित्य में घुसपैठ हो रही है। मैं ऐसे कई तथाकथित बाल साहित्यकारों को जानता हंू जो प्रौढ़ों के लिए लिखने का प्रयास किया करते थे। वहां असफल होने पर बाल साहित्य में आकर घुस गए। जबकि बच्चों से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है।
जब आप बच्चों के क्रियाकलापों को नियमित नहीं देखेंगे तथा उनके संपर्क में नहीं रहेंगे तो आप बाल साहित्यकार बन ही नहीं सकते। अत: बच्चों का साहचर्य, बच्चों के स्नेह और प्यार को प्राप्त करना अत्यावश्यक है।
इस संक्षिप्त लेख के अंत में भाई दीनदयाल जी के स्वस्थ, दीर्घ और उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हंू। बाल गोपाल मण्डली, जो टाबर टोल़ी से जुड़ी हुई है, को ढेर सारी शुभकामनाएं अर्पित करता हंू। बाल देवो भव:।
रामनिरंजन शर्मा 'ठिमाऊ',
पिलानी, जिला: झुंझुनूं, राज.
मोबाइल : 9413484840
16 अप्रैल, 2010 के बच्चों के अखबार टाबर टोळी से साभार
Bhai Deendayal sharma,bhut hi bedye or achhye Hindustan k child writer h.Jinhone choti si jighe per reh ker bhut hi beda kam ker rehye h.Bachho k liye legatar likh rehye hai or likhnye k liye pryrit bhi ker rehye h.
ReplyDeleteBchho k liye ek legatar AKHBAR TAABARTOLI Nikal rehye hai.Bachho k liye purnrup se semerprit.bachho hi jase bhai DD Ji Meri Najer m bhit hi payre sidhy-sade writer hai.
Meri Aap ko dher sari subhkamnye.
NARESH MEHAN