तुम बच्चों के प्यारे हो
नव उल्लास, विश्वास लेकर,
शिक्षक दिवस आज है आया।
अरुणिम सूरज की किरणों ने,
अवनि पर प्रकाश फैलाया।।
भोर का सूरज उदित हुआ,
लिए हुए इक नूतन लाली।
श्रद्धा दीप ले आई परियां,
संग लायी पूजन की थाली।।
मंगल गान का दौर चला है,
कभी नहीं जो थमने वाला।
तुम ही हो वो कुशल-निर्माता,
जिसने सबको सांचों में ढाला।।
तराश-तराश पाषाणों को,
तुम देते हो सुधड़ आकार।
तलाश-तलाश प्रतिभाओं को,
तुम देते हो उन्हें निखार।।
कर्मयोग के सुन्दर पथ पर,
तुम आगे चलने वाले हो।
भाग्य की रेखाओं को तुम,
कर्म से बदलने वाले हो।।
भाव-विचार के सुमनों से,
पुष्पित-पल्लवित उपवन है।
और उन्हीं की सौरभ से,
सुरभित सबका जीवन है।।
थामी अंगुली जिनकी तुमने,
वही आगे चल पाते हैं।
शब्द दिये थे उनको तुमने,
तभी तो कुछ कह पाते हैं।।
चाचा नेहरू की ही भांति,
तुम बच्चों के प्यारे हो।
भावों से हो ओत-प्रोत तुम,
रचना-कौशल में न्यारे हो।।
आज के दिन बस यही दुआ है,
खुशियों का तुम्हें वरदान मिले।
हर मन्जिल पर राज तुम्हारा,
वैभव मिले और मान मिले।।
साहित्य के आकाश में गुरुवर,
सदा चमकना बन के दिनकर।
सबके पथ को उजला करना,
जलते रहना दीपक बनकर।।
5 सितम्बर, 2004 के दिन
श्री दीनदयाल शर्मा जी को
सादर समर्पित कविता
प्रस्तुतकर्ता :
कमला बैरवा, जयपुर
मोबाइल : 9772615160
meri nazar me yahi...KI AAPKO MERI NAZAR NA LAG JAAYE .....
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